धन्यवाद रत्नूजी,डी पी सी सम्बन्धी स्वामी बुक के प्रावधान आपने सबके लिये सुलभ करवा दिए हैं,इसे ढूंढकर पढ़ने में ज्यादातर साथी आलस्य करते ,आपने उनकी मेहनत बचा दी है, अब ये तो आईने की तरह साफ़ है कि हमारे लिये क्या होना चाहिए,सभी साथियों को इसका अध्ययन कर इसे लगाते हुए रिप्रेजेंट करना चाहिए,इस ब्लॉग को नागपुर ,जोधपुर और न जाने कहाँ-कहाँ से लोग देखते हैं पर अपने विचार क्यों नहीं लिखते ये विचारणीय है .मैं अपील करना चाहूंगा कि साथियों आइये एक होकर स्वस्थ विचरधारा की सरिता बहाएं और कुछ नया कर दिखाएँ.
I am fully agree with Pandurang jee .To achieve our goals we must express our voices on concerns.In earlier years due to our attitude of lazyness we were left behind others despite several cat or court orders ."AWAKE TO ACHIEVE " !!
रत्नूजी सुप्रभातम , आज के "दैनिक जागरण" में एक समाचार छपा है मैं भेज रहा हूं देखिएगा हमारे लिये कितना उपयोगी है - "वरिष्ठ अधिकारी का काम करने पर कर्मचारी ज्यादा वेतन का हक़दार " -यदि कोई कर्मचारी अपने से वरिष्ठ अधिकारी के कार्यों का संपादन करता है वह उस अधिकारी के पद बराबर वेतन पाने का हक रखता है.केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट)ने एक फैसले में यह बात कही है.न्यायाधिकरण की चेयरमैन वी.के.बाली और वाइसचेयरमैन एल.के.जोशी की पीठ ने कहा,"हमारा विचार है कि जब किसी कर्मचारी को योग्य मानकर उसे वरिष्ठ अधिकारी की जिम्मेदारियां सौपी जाती हैं,तो सैद्धांतिक रूप से वह उस पद से संबद्ध वेतन का अधिकारी हो जाता है."पीठ ने कहा कि यदि सरकार किसी कनिष्ठ अधिकारी से उच्च कैडर के अधिकारी के कार्य करने को कहती है तो ऐसे में उस कनिष्ठ अधिकारी को उच्च पद के योग्य वेतन दिया जाना चाहिए.न्यायाधिकरण का यह फैसला सामाजिक न्याय मंत्रालय के कर्मचारी कैलाश चंद्र जोशी की याचिका पर दिया गया है. जो लोग ट्रेक्स (डी.ओ.) का कार्य लगातार कर रहे हैं उनका हित क्या इससे हो सकता है? अवगत करियेगा.पांडुरंग पुराणिक -आकाशवाणी वाराणसी.
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धन्यवाद रत्नूजी,डी पी सी सम्बन्धी स्वामी बुक के प्रावधान आपने सबके लिये सुलभ करवा दिए हैं,इसे ढूंढकर पढ़ने में ज्यादातर साथी आलस्य करते ,आपने उनकी मेहनत बचा दी है, अब ये तो आईने की तरह साफ़ है कि हमारे लिये क्या होना चाहिए,सभी साथियों को इसका अध्ययन कर इसे लगाते हुए रिप्रेजेंट करना चाहिए,इस ब्लॉग को नागपुर ,जोधपुर और न जाने कहाँ-कहाँ से लोग देखते हैं पर अपने विचार क्यों नहीं लिखते ये विचारणीय है .मैं अपील करना चाहूंगा कि साथियों आइये एक होकर स्वस्थ विचरधारा की सरिता बहाएं और कुछ नया कर दिखाएँ.
I am fully agree with Pandurang jee .To achieve our goals we must express our voices on concerns.In earlier years due to our attitude of lazyness we were left behind others despite several cat or court orders ."AWAKE TO ACHIEVE " !!
रत्नूजी सुप्रभातम , आज के "दैनिक जागरण" में एक समाचार छपा है मैं भेज रहा हूं देखिएगा हमारे लिये कितना उपयोगी है - "वरिष्ठ अधिकारी का काम करने पर कर्मचारी ज्यादा वेतन का हक़दार " -यदि कोई कर्मचारी अपने से वरिष्ठ अधिकारी के कार्यों का संपादन करता है वह उस अधिकारी के पद बराबर वेतन पाने का हक रखता है.केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट)ने एक फैसले में यह बात कही है.न्यायाधिकरण की चेयरमैन वी.के.बाली और वाइसचेयरमैन एल.के.जोशी की पीठ ने कहा,"हमारा विचार है कि जब किसी कर्मचारी को योग्य मानकर उसे वरिष्ठ अधिकारी की जिम्मेदारियां सौपी जाती हैं,तो सैद्धांतिक रूप से वह उस पद से संबद्ध वेतन का अधिकारी हो जाता है."पीठ ने कहा कि यदि सरकार किसी कनिष्ठ अधिकारी से उच्च कैडर के अधिकारी के कार्य करने को कहती है तो ऐसे में उस कनिष्ठ अधिकारी को उच्च पद के योग्य वेतन दिया जाना चाहिए.न्यायाधिकरण का यह फैसला सामाजिक न्याय मंत्रालय के कर्मचारी कैलाश चंद्र जोशी की याचिका पर दिया गया है. जो लोग ट्रेक्स (डी.ओ.) का कार्य लगातार कर रहे हैं उनका हित क्या इससे हो सकता है? अवगत करियेगा.पांडुरंग पुराणिक -आकाशवाणी वाराणसी.
Mr Ratnu ji you r doing a commendable job on this site. I am working with primary channel in AIR ahmedabad in the capacity of regular announcer.
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